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Monday 16 September 2013

Photo: घंट की ध्वनि का औषधि-प्रयोग

सर्पदंशः अफ्रीका निवासी घंटा बजाकर जहरीले सर्पदंश की चिकित्सा करते हैं।

क्षयरोगः मास्को सैनीटोरियम (क्षयरोग चिकित्सालय) में घंटे की ध्वनि से क्षयरोग ठीक करने का सफल प्रयोग चल रहा है। घंट ध्वनि से क्षयरोग ठीक होता है तथा अन्य कई शारीरिक कष्ट भी दूर होते हैं।

प्रसव-बाधाः अभी बजा हुआ पंचधातु का घंटा आप पानी से धो डालिये और वह पानी उस स्त्री को पिला दीजिए जिस स्त्री को अत्यंत प्रसव वेदना हो रही हो और प्रसव न होता हो। फिर देखिये, एक घंटे के अंदर ही सारी विघ्न बाधाओं को हटाकर सफलतापूर्वक प्रसव हो जायेगा।
#anshuman

घंट की ध्वनि का औषधि-प्रयोग

सर्पदंशः अफ्रीका निवासी घंटा बजाकर जहरीले सर्पदंश की चिकित्सा करते हैं।

क्षयरोगः मास्को सैनीटोरियम (क्षयरोग चिकित्सालय) में घंटे की ध्वनि से क्षयरोग ठीक करने का सफल प्रयोग चल रहा है। घंट ध्वनि से क्षयरोग ठीक होता है तथा अन्य कई शारीरिक कष्ट भी दूर होते हैं।

प्रसव-बाधाः अभी बजा हुआ पंचधातु का घंटा आप पानी से धो डालिये और वह पानी उस स्त्री को पिला दीजिए जिस स्त्री को अत्यंत प्रसव वेदना हो रही हो और प्रसव न होता हो। फिर देखिये, एक घंटे के अंदर ही सारी विघ्न बाधाओं को हटाकर सफलतापूर्वक प्रसव हो जायेगा।

घंट की ध्वनि का औषधि-प्रयोग

Photo: घंट की ध्वनि का औषधि-प्रयोग

सर्पदंशः अफ्रीका निवासी घंटा बजाकर जहरीले सर्पदंश की चिकित्सा करते हैं।

क्षयरोगः मास्को सैनीटोरियम (क्षयरोग चिकित्सालय) में घंटे की ध्वनि से क्षयरोग ठीक करने का सफल प्रयोग चल रहा है। घंट ध्वनि से क्षयरोग ठीक होता है तथा अन्य कई शारीरिक कष्ट भी दूर होते हैं।

प्रसव-बाधाः अभी बजा हुआ पंचधातु का घंटा आप पानी से धो डालिये और वह पानी उस स्त्री को पिला दीजिए जिस स्त्री को अत्यंत प्रसव वेदना हो रही हो और प्रसव न होता हो। फिर देखिये, एक घंटे के अंदर ही सारी विघ्न बाधाओं को हटाकर सफलतापूर्वक प्रसव हो जायेगा।
#anshuman

घंट की ध्वनि का औषधि-प्रयोग

सर्पदंशः अफ्रीका निवासी घंटा बजाकर जहरीले सर्पदंश की चिकित्सा करते हैं।

क्षयरोगः मास्को सैनीटोरियम (क्षयरोग चिकित्सालय) में घंटे की ध्वनि से क्षयरोग ठीक करने का सफल प्रयोग चल रहा है। घंट ध्वनि से क्षयरोग ठीक होता है तथा अन्य कई शारीरिक कष्ट भी दूर होते हैं।

प्रसव-बाधाः अभी बजा हुआ पंचधातु का घंटा आप पानी से धो डालिये और वह पानी उस स्त्री को पिला दीजिए जिस स्त्री को अत्यंत प्रसव वेदना हो रही हो और प्रसव न होता हो। फिर देखिये, एक घंटे के अंदर ही सारी विघ्न बाधाओं को हटाकर सफलतापूर्वक प्रसव हो जायेगा।

Posted at 23:17 |  by Tricksbee

Tuesday 27 August 2013

Photo: हरी थी मन भरी थी , लाख मोती जड़ी थी ,
राजा जी के बाग़ में दुशाला ओढ़े खडी थी
कच्चे पक्के बाल है उसके ,
मुखड़ा है सुहाना .....
बोलो क्या ???
- इन दिनों ताज़े भुट्टे बाज़ार में आ रहे है| नर्म भुट्टों को भूनकर घी या निम्बू-नमक लगाकर खाने का मज़ा ही कुछ और है| इससे दांत और जबड़े मज़बूत होते है|बच्चों को अवश्य देना चाहिए|
- जब भी भुने हुये भुट्टे खायें तो पहले दानो को खाकर बचे हिस्से को फेकें नही बल्कि उसे बीच से दो टुकडो मे तोड़ लें और फिर अंदर वाले भाग को सूंघे। इससे दाने जल्दी से पच जाते हैं। इन्हें गाय को खिला दें|
- कुछ टुकडो को जलाकर राख जमा कर लें और आवश्यकतानुसार श्वांस रोगों मे प्रयोग करें। इसमें स्वादानुसार सेंधा नमक मिला लीजिए। हर रोज कम से कम चार बार एक चौथाई चम्मच हल्का गरम पानी के साथ फांक लीजिए। खांसी समाप्त हो जाती है। इससे विशेषकर कुक्कुर खाँसी मे बड़ी राहत मिलती है।
- भुट्टे थोड़े कड़े हो तो इसके दानों को कद्दूकस कर उसका उपमा की तरह स्वादिष्ट व्यंजन बनता है या उसमे थोड़ा सा बेसन डाल कर गरमा गर्म पकौड़ियाँ बन जाती है|
- किसी को उबला भुट्टा पसंद है , किसी को उसकी करी. ताज़े भुट्टों को कद्दूकस कर सूप में मिलाएं तो अलग ही स्वाद आता है|
- भुट्टे से मीठा हलवा भी बनता है|
- आयुर्वेद के अनुसार भुट्टा तृप्तिदायक, वातकारक, कफ, पित्तनाशक, मधुर और रुचि उत्पादक अनाज है| इसकी खासियत यह है कि पकाने के बाद इसकी पौष्टिकता बढ जाती है।
- पके हुए भुट्टे में पाया जाने वाला कैरोटीनायड विटामिन-ए का अच्छा स्रोत होता है।
- भुट्टे को पकाने के बाद उसके 50 प्रतिशत एंटी-ऑक्सीअडेंट्स बढ़ जाते हैं। ये बढती उम्र को रोकता है और कैंसर से लड़ने में मदद करता है|पके हुए भुट्टे में फेरूलिक एसिड होता है जो कि कैंसर जैसी बीमारी में लड़ने में बहुत मददगार होता है।
- इसके अलावा भुट्टे में मिनरल्स और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।
- भुट्टे को एक बेहतरीन कोलेस्ट्रॉल फाइटर माना जाता है, जो दिल के मरीजों के लिए बहुत अच्छा है।
- बच्चों के विकास के लिए भुट्टा बहुत फायदेमंद माना जाता है। ताजे दूधिया (जो कि पूरी तरह से पका न हो) मक्का के दाने पीसकर एक खाली शीशी में भरकर उसे धूप में रखिए। जब उसका दूध सूख कर उड़ जाए और शीशी में केवल तेल रह जाए तो उसे छान लीजिए। इस तेल को बच्चों के पैरों में मालिश कीजिए। इससे बच्चों का पैर ज्यादा मजबूत होगा और बच्चा जल्दी चलने लगेगा।
- इस तेल को पीने से शरीर शक्तिशाली होता है। हर रोज एक चम्मच तेल को चीनी के बने शर्बत में मिलाकर पीने से बल बढ़ता है।
- ताजा मक्का के भुट्टे को पानी में उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन व गुर्दों की कमजोरी समाप्त हो जाती है।
- टीबी के मरीजों के लिए मक्का बहुत फायदेमंद है। टीबी के मरीजों को या जिन्हें टीबी होने की आशंका हो हर रोज मक्के की रोटी खाना चाहिए। इससे टीबी के इलाज में फायदा होगा।
- मक्के के बाल (सिल्क) का उपयोग पथरी रोगों की चिकित्सा मे होता है। पथरी से बचाव के लिये रात भर सिल्क को पानी मे भिगोकर सुबह सिल्क हटाकर पानी पीने से लाभ होता है। पथरी के उपचार मे सिल्क को पानी में उबालकर बनाये गये काढ़े का प्रयोग होता है।
- यदि गेहूँ के आटे के स्थान पर मक्के के आटे का प्रयोग करें तो यह लीवर के लिये अधिक लाभकारी है।
- यह प्रचूर मात्रा में रेशे से भरा हुआ है इ‍सलिये इसे खाने से पेट का डायजेशन अच्‍छा रहता है। इससे कब्ज, बवासीर और पेट के कैंसर के होने की संभावना दूर होती है।
- भुट्टे के पीले दानों में बहुत सारा मैगनीशियम, आयरन, कॉपर और फॉस्‍फोरस पाया जाता है जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं।
- स्‍किन रैश और खुजली के लिये भी भुट्टे का स्‍टार्च प्रयोग किया जाता है जिससे स्‍किन बहुत कोमल बन जाती है।
- एनीमिया को दूर करने के लिये भुट्टा खाना चाहिये क्‍योंकि इसमें विटामिन बी और फोलिक एसिड होता है ।
- भुट्टा दिल की बीमारी को भी दूर करने में सहायक है क्‍योंकि इसमें विटामिन सी, कैरोटिनॉइड और बायोफ्लेविनॉइड पाया जाता है। यह कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को बढने से बचाता है और शरीर में खून के फ्लो को भी बढाता है।
- इसका सेवन प्रेगनेंसी में भी बहुत लाभदायक होता है इसलिये गर्भवती महिलाओं को इसे अपने आहार में जरुर शामिल करना चाहिये। इसमें फोलिक एसिड पाया जाता है जिसकी कमी से होने वाला बच्‍चा अंडरवेट हो सकता है और कई अन्‍य बीमारियों से पीडि़त भी।


एडमिन-अंशुमन
हरी थी मन भरी थी , लाख मोती जड़ी थी ,
राजा जी के बाग़ में दुशाला ओढ़े खडी थी
कच्चे पक्के बाल है उसके ,
मुखड़ा है सुहाना .....
बोलो क्या ????
- इन दिनों ताज़े भुट्टे बाज़ार में आ रहे है| नर्म भुट्टों को भूनकर घी या निम्बू-नमक लगाकर खाने का मज़ा ही कुछ और है| इससे दांत और जबड़े मज़बूत होते है|बच्चों को अवश्य देना चाहिए|
- जब भी भुने हुये भुट्टे खायें तो पहले दानो को खाकर बचे हिस्से को फेकें नही बल्कि उसे बीच से दो टुकडो मे तोड़ लें और फिर अंदर वाले भाग को सूंघे। इससे दाने जल्दी से पच जाते हैं। इन्हें गाय को खिला दें|
- कुछ टुकडो को जलाकर राख जमा कर लें और आवश्यकतानुसार श्वांस रोगों मे प्रयोग करें। इसमें स्वादानुसार सेंधा नमक मिला लीजिए। हर रोज कम से कम चार बार एक चौथाई चम्मच हल्का गरम पानी के साथ फांक लीजिए। खांसी समाप्त हो जाती है। इससे विशेषकर कुक्कुर खाँसी मे बड़ी राहत मिलती है।
- भुट्टे थोड़े कड़े हो तो इसके दानों को कद्दूकस कर उसका उपमा की तरह स्वादिष्ट व्यंजन बनता है या उसमे थोड़ा सा बेसन डाल कर गरमा गर्म पकौड़ियाँ बन जाती है|
- किसी को उबला भुट्टा पसंद है , किसी को उसकी करी. ताज़े भुट्टों को कद्दूकस कर सूप में मिलाएं तो अलग ही स्वाद आता है|
- भुट्टे से मीठा हलवा भी बनता है|
- आयुर्वेद के अनुसार भुट्टा तृप्तिदायक, वातकारक, कफ, पित्तनाशक, मधुर और रुचि उत्पादक अनाज है| इसकी खासियत यह है कि पकाने के बाद इसकी पौष्टिकता बढ जाती है।
- पके हुए भुट्टे में पाया जाने वाला कैरोटीनायड विटामिन-ए का अच्छा स्रोत होता है।
- भुट्टे को पकाने के बाद उसके 50 प्रतिशत एंटी-ऑक्सीअडेंट्स बढ़ जाते हैं। ये बढती उम्र को रोकता है और कैंसर से लड़ने में मदद करता है|पके हुए भुट्टे में फेरूलिक एसिड होता है जो कि कैंसर जैसी बीमारी में लड़ने में बहुत मददगार होता है।
- इसके अलावा भुट्टे में मिनरल्स और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।
- भुट्टे को एक बेहतरीन कोलेस्ट्रॉल फाइटर माना जाता है, जो दिल के मरीजों के लिए बहुत अच्छा है।
- बच्चों के विकास के लिए भुट्टा बहुत फायदेमंद माना जाता है। ताजे दूधिया (जो कि पूरी तरह से पका न हो) मक्का के दाने पीसकर एक खाली शीशी में भरकर उसे धूप में रखिए। जब उसका दूध सूख कर उड़ जाए और शीशी में केवल तेल रह जाए तो उसे छान लीजिए। इस तेल को बच्चों के पैरों में मालिश कीजिए। इससे बच्चों का पैर ज्यादा मजबूत होगा और बच्चा जल्दी चलने लगेगा।
- इस तेल को पीने से शरीर शक्तिशाली होता है। हर रोज एक चम्मच तेल को चीनी के बने शर्बत में मिलाकर पीने से बल बढ़ता है।
- ताजा मक्का के भुट्टे को पानी में उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन व गुर्दों की कमजोरी समाप्त हो जाती है।
- टीबी के मरीजों के लिए मक्का बहुत फायदेमंद है। टीबी के मरीजों को या जिन्हें टीबी होने की आशंका हो हर रोज मक्के की रोटी खाना चाहिए। इससे टीबी के इलाज में फायदा होगा।
- मक्के के बाल (सिल्क) का उपयोग पथरी रोगों की चिकित्सा मे होता है। पथरी से बचाव के लिये रात भर सिल्क को पानी मे भिगोकर सुबह सिल्क हटाकर पानी पीने से लाभ होता है। पथरी के उपचार मे सिल्क को पानी में उबालकर बनाये गये काढ़े का प्रयोग होता है।
- यदि गेहूँ के आटे के स्थान पर मक्के के आटे का प्रयोग करें तो यह लीवर के लिये अधिक लाभकारी है।
- यह प्रचूर मात्रा में रेशे से भरा हुआ है इ‍सलिये इसे खाने से पेट का डायजेशन अच्‍छा रहता है। इससे कब्ज, बवासीर और पेट के कैंसर के होने की संभावना दूर होती है।
- भुट्टे के पीले दानों में बहुत सारा मैगनीशियम, आयरन, कॉपर और फॉस्‍फोरस पाया जाता है जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं।
- स्‍किन रैश और खुजली के लिये भी भुट्टे का स्‍टार्च प्रयोग किया जाता है जिससे स्‍किन बहुत कोमल बन जाती है।
- एनीमिया को दूर करने के लिये भुट्टा खाना चाहिये क्‍योंकि इसमें विटामिन बी और फोलिक एसिड होता है ।
- भुट्टा दिल की बीमारी को भी दूर करने में सहायक है क्‍योंकि इसमें विटामिन सी, कैरोटिनॉइड और बायोफ्लेविनॉइड पाया जाता है। यह कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को बढने से बचाता है और शरीर में खून के फ्लो को भी बढाता है।
- इसका सेवन प्रेगनेंसी में भी बहुत लाभदायक होता है इसलिये गर्भवती महिलाओं को इसे अपने आहार में जरुर शामिल करना चाहिये। इसमें फोलिक एसिड पाया जाता है जिसकी कमी से होने वाला बच्‍चा अंडरवेट हो सकता है और कई अन्‍य बीमारियों से पीडि़त

हरी थी मन भरी थी , लाख मोती जड़ी थी , राजा जी के बाग़ में दुशाला ओढ़े खडी थी कच्चे पक्के बाल है उसके , मुखड़ा है सुहाना ..... बोलो क्या ???

Photo: हरी थी मन भरी थी , लाख मोती जड़ी थी ,
राजा जी के बाग़ में दुशाला ओढ़े खडी थी
कच्चे पक्के बाल है उसके ,
मुखड़ा है सुहाना .....
बोलो क्या ???
- इन दिनों ताज़े भुट्टे बाज़ार में आ रहे है| नर्म भुट्टों को भूनकर घी या निम्बू-नमक लगाकर खाने का मज़ा ही कुछ और है| इससे दांत और जबड़े मज़बूत होते है|बच्चों को अवश्य देना चाहिए|
- जब भी भुने हुये भुट्टे खायें तो पहले दानो को खाकर बचे हिस्से को फेकें नही बल्कि उसे बीच से दो टुकडो मे तोड़ लें और फिर अंदर वाले भाग को सूंघे। इससे दाने जल्दी से पच जाते हैं। इन्हें गाय को खिला दें|
- कुछ टुकडो को जलाकर राख जमा कर लें और आवश्यकतानुसार श्वांस रोगों मे प्रयोग करें। इसमें स्वादानुसार सेंधा नमक मिला लीजिए। हर रोज कम से कम चार बार एक चौथाई चम्मच हल्का गरम पानी के साथ फांक लीजिए। खांसी समाप्त हो जाती है। इससे विशेषकर कुक्कुर खाँसी मे बड़ी राहत मिलती है।
- भुट्टे थोड़े कड़े हो तो इसके दानों को कद्दूकस कर उसका उपमा की तरह स्वादिष्ट व्यंजन बनता है या उसमे थोड़ा सा बेसन डाल कर गरमा गर्म पकौड़ियाँ बन जाती है|
- किसी को उबला भुट्टा पसंद है , किसी को उसकी करी. ताज़े भुट्टों को कद्दूकस कर सूप में मिलाएं तो अलग ही स्वाद आता है|
- भुट्टे से मीठा हलवा भी बनता है|
- आयुर्वेद के अनुसार भुट्टा तृप्तिदायक, वातकारक, कफ, पित्तनाशक, मधुर और रुचि उत्पादक अनाज है| इसकी खासियत यह है कि पकाने के बाद इसकी पौष्टिकता बढ जाती है।
- पके हुए भुट्टे में पाया जाने वाला कैरोटीनायड विटामिन-ए का अच्छा स्रोत होता है।
- भुट्टे को पकाने के बाद उसके 50 प्रतिशत एंटी-ऑक्सीअडेंट्स बढ़ जाते हैं। ये बढती उम्र को रोकता है और कैंसर से लड़ने में मदद करता है|पके हुए भुट्टे में फेरूलिक एसिड होता है जो कि कैंसर जैसी बीमारी में लड़ने में बहुत मददगार होता है।
- इसके अलावा भुट्टे में मिनरल्स और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।
- भुट्टे को एक बेहतरीन कोलेस्ट्रॉल फाइटर माना जाता है, जो दिल के मरीजों के लिए बहुत अच्छा है।
- बच्चों के विकास के लिए भुट्टा बहुत फायदेमंद माना जाता है। ताजे दूधिया (जो कि पूरी तरह से पका न हो) मक्का के दाने पीसकर एक खाली शीशी में भरकर उसे धूप में रखिए। जब उसका दूध सूख कर उड़ जाए और शीशी में केवल तेल रह जाए तो उसे छान लीजिए। इस तेल को बच्चों के पैरों में मालिश कीजिए। इससे बच्चों का पैर ज्यादा मजबूत होगा और बच्चा जल्दी चलने लगेगा।
- इस तेल को पीने से शरीर शक्तिशाली होता है। हर रोज एक चम्मच तेल को चीनी के बने शर्बत में मिलाकर पीने से बल बढ़ता है।
- ताजा मक्का के भुट्टे को पानी में उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन व गुर्दों की कमजोरी समाप्त हो जाती है।
- टीबी के मरीजों के लिए मक्का बहुत फायदेमंद है। टीबी के मरीजों को या जिन्हें टीबी होने की आशंका हो हर रोज मक्के की रोटी खाना चाहिए। इससे टीबी के इलाज में फायदा होगा।
- मक्के के बाल (सिल्क) का उपयोग पथरी रोगों की चिकित्सा मे होता है। पथरी से बचाव के लिये रात भर सिल्क को पानी मे भिगोकर सुबह सिल्क हटाकर पानी पीने से लाभ होता है। पथरी के उपचार मे सिल्क को पानी में उबालकर बनाये गये काढ़े का प्रयोग होता है।
- यदि गेहूँ के आटे के स्थान पर मक्के के आटे का प्रयोग करें तो यह लीवर के लिये अधिक लाभकारी है।
- यह प्रचूर मात्रा में रेशे से भरा हुआ है इ‍सलिये इसे खाने से पेट का डायजेशन अच्‍छा रहता है। इससे कब्ज, बवासीर और पेट के कैंसर के होने की संभावना दूर होती है।
- भुट्टे के पीले दानों में बहुत सारा मैगनीशियम, आयरन, कॉपर और फॉस्‍फोरस पाया जाता है जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं।
- स्‍किन रैश और खुजली के लिये भी भुट्टे का स्‍टार्च प्रयोग किया जाता है जिससे स्‍किन बहुत कोमल बन जाती है।
- एनीमिया को दूर करने के लिये भुट्टा खाना चाहिये क्‍योंकि इसमें विटामिन बी और फोलिक एसिड होता है ।
- भुट्टा दिल की बीमारी को भी दूर करने में सहायक है क्‍योंकि इसमें विटामिन सी, कैरोटिनॉइड और बायोफ्लेविनॉइड पाया जाता है। यह कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को बढने से बचाता है और शरीर में खून के फ्लो को भी बढाता है।
- इसका सेवन प्रेगनेंसी में भी बहुत लाभदायक होता है इसलिये गर्भवती महिलाओं को इसे अपने आहार में जरुर शामिल करना चाहिये। इसमें फोलिक एसिड पाया जाता है जिसकी कमी से होने वाला बच्‍चा अंडरवेट हो सकता है और कई अन्‍य बीमारियों से पीडि़त भी।


एडमिन-अंशुमन
हरी थी मन भरी थी , लाख मोती जड़ी थी ,
राजा जी के बाग़ में दुशाला ओढ़े खडी थी
कच्चे पक्के बाल है उसके ,
मुखड़ा है सुहाना .....
बोलो क्या ????
- इन दिनों ताज़े भुट्टे बाज़ार में आ रहे है| नर्म भुट्टों को भूनकर घी या निम्बू-नमक लगाकर खाने का मज़ा ही कुछ और है| इससे दांत और जबड़े मज़बूत होते है|बच्चों को अवश्य देना चाहिए|
- जब भी भुने हुये भुट्टे खायें तो पहले दानो को खाकर बचे हिस्से को फेकें नही बल्कि उसे बीच से दो टुकडो मे तोड़ लें और फिर अंदर वाले भाग को सूंघे। इससे दाने जल्दी से पच जाते हैं। इन्हें गाय को खिला दें|
- कुछ टुकडो को जलाकर राख जमा कर लें और आवश्यकतानुसार श्वांस रोगों मे प्रयोग करें। इसमें स्वादानुसार सेंधा नमक मिला लीजिए। हर रोज कम से कम चार बार एक चौथाई चम्मच हल्का गरम पानी के साथ फांक लीजिए। खांसी समाप्त हो जाती है। इससे विशेषकर कुक्कुर खाँसी मे बड़ी राहत मिलती है।
- भुट्टे थोड़े कड़े हो तो इसके दानों को कद्दूकस कर उसका उपमा की तरह स्वादिष्ट व्यंजन बनता है या उसमे थोड़ा सा बेसन डाल कर गरमा गर्म पकौड़ियाँ बन जाती है|
- किसी को उबला भुट्टा पसंद है , किसी को उसकी करी. ताज़े भुट्टों को कद्दूकस कर सूप में मिलाएं तो अलग ही स्वाद आता है|
- भुट्टे से मीठा हलवा भी बनता है|
- आयुर्वेद के अनुसार भुट्टा तृप्तिदायक, वातकारक, कफ, पित्तनाशक, मधुर और रुचि उत्पादक अनाज है| इसकी खासियत यह है कि पकाने के बाद इसकी पौष्टिकता बढ जाती है।
- पके हुए भुट्टे में पाया जाने वाला कैरोटीनायड विटामिन-ए का अच्छा स्रोत होता है।
- भुट्टे को पकाने के बाद उसके 50 प्रतिशत एंटी-ऑक्सीअडेंट्स बढ़ जाते हैं। ये बढती उम्र को रोकता है और कैंसर से लड़ने में मदद करता है|पके हुए भुट्टे में फेरूलिक एसिड होता है जो कि कैंसर जैसी बीमारी में लड़ने में बहुत मददगार होता है।
- इसके अलावा भुट्टे में मिनरल्स और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।
- भुट्टे को एक बेहतरीन कोलेस्ट्रॉल फाइटर माना जाता है, जो दिल के मरीजों के लिए बहुत अच्छा है।
- बच्चों के विकास के लिए भुट्टा बहुत फायदेमंद माना जाता है। ताजे दूधिया (जो कि पूरी तरह से पका न हो) मक्का के दाने पीसकर एक खाली शीशी में भरकर उसे धूप में रखिए। जब उसका दूध सूख कर उड़ जाए और शीशी में केवल तेल रह जाए तो उसे छान लीजिए। इस तेल को बच्चों के पैरों में मालिश कीजिए। इससे बच्चों का पैर ज्यादा मजबूत होगा और बच्चा जल्दी चलने लगेगा।
- इस तेल को पीने से शरीर शक्तिशाली होता है। हर रोज एक चम्मच तेल को चीनी के बने शर्बत में मिलाकर पीने से बल बढ़ता है।
- ताजा मक्का के भुट्टे को पानी में उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन व गुर्दों की कमजोरी समाप्त हो जाती है।
- टीबी के मरीजों के लिए मक्का बहुत फायदेमंद है। टीबी के मरीजों को या जिन्हें टीबी होने की आशंका हो हर रोज मक्के की रोटी खाना चाहिए। इससे टीबी के इलाज में फायदा होगा।
- मक्के के बाल (सिल्क) का उपयोग पथरी रोगों की चिकित्सा मे होता है। पथरी से बचाव के लिये रात भर सिल्क को पानी मे भिगोकर सुबह सिल्क हटाकर पानी पीने से लाभ होता है। पथरी के उपचार मे सिल्क को पानी में उबालकर बनाये गये काढ़े का प्रयोग होता है।
- यदि गेहूँ के आटे के स्थान पर मक्के के आटे का प्रयोग करें तो यह लीवर के लिये अधिक लाभकारी है।
- यह प्रचूर मात्रा में रेशे से भरा हुआ है इ‍सलिये इसे खाने से पेट का डायजेशन अच्‍छा रहता है। इससे कब्ज, बवासीर और पेट के कैंसर के होने की संभावना दूर होती है।
- भुट्टे के पीले दानों में बहुत सारा मैगनीशियम, आयरन, कॉपर और फॉस्‍फोरस पाया जाता है जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं।
- स्‍किन रैश और खुजली के लिये भी भुट्टे का स्‍टार्च प्रयोग किया जाता है जिससे स्‍किन बहुत कोमल बन जाती है।
- एनीमिया को दूर करने के लिये भुट्टा खाना चाहिये क्‍योंकि इसमें विटामिन बी और फोलिक एसिड होता है ।
- भुट्टा दिल की बीमारी को भी दूर करने में सहायक है क्‍योंकि इसमें विटामिन सी, कैरोटिनॉइड और बायोफ्लेविनॉइड पाया जाता है। यह कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को बढने से बचाता है और शरीर में खून के फ्लो को भी बढाता है।
- इसका सेवन प्रेगनेंसी में भी बहुत लाभदायक होता है इसलिये गर्भवती महिलाओं को इसे अपने आहार में जरुर शामिल करना चाहिये। इसमें फोलिक एसिड पाया जाता है जिसकी कमी से होने वाला बच्‍चा अंडरवेट हो सकता है और कई अन्‍य बीमारियों से पीडि़त

Posted at 19:29 |  by Tricksbee
Photo: जो गुण ओलिव ओइल में है , वही गुण अपने सरसों के तेल में भी है. फिर इतना महँगा विदेश से आयातित ओलिव ओइल क्यों इस्तेमाल करना? इससे रूपया भी कमज़ोर होगा. तो रुपये को और दिल को मज़बूत बनाने के लिए अपने देश का ही कच्ची घानी का सरसों तेल उपयोग में लाये.


जो गुण ओलिव ओइल में है , वही गुण अपने सरसों के तेल में भी है. फिर इतना महँगा विदेश से आयातित ओलिव ओइल क्यों इस्तेमाल करना? इससे रूपया भी कमज़ोर होगा. तो रुपये को और दिल को मज़बूत बनाने के लिए अपने देश का ही कच्ची घानी का सरसों तेल उपयोग में लाये.

बिदेसी क्यों ??

Photo: जो गुण ओलिव ओइल में है , वही गुण अपने सरसों के तेल में भी है. फिर इतना महँगा विदेश से आयातित ओलिव ओइल क्यों इस्तेमाल करना? इससे रूपया भी कमज़ोर होगा. तो रुपये को और दिल को मज़बूत बनाने के लिए अपने देश का ही कच्ची घानी का सरसों तेल उपयोग में लाये.


जो गुण ओलिव ओइल में है , वही गुण अपने सरसों के तेल में भी है. फिर इतना महँगा विदेश से आयातित ओलिव ओइल क्यों इस्तेमाल करना? इससे रूपया भी कमज़ोर होगा. तो रुपये को और दिल को मज़बूत बनाने के लिए अपने देश का ही कच्ची घानी का सरसों तेल उपयोग में लाये.

Posted at 19:26 |  by Tricksbee
Photo: चाय लेंगे आप ???
हानिकारक समझे जाने वाली यही चाय आपके लिये बेहद लाभदायक भी हो सकती है। तरीके बदलने से परिणाम भी बदल जाते हैं। सही तरीके से बनी चाय आपके लिये काफी फायदेमंद हो सकती है। आइये जाने कि गुणों से भरपूर ऐसी लाभदायक चाय किस तरह बनती है....
आवश्यक सामग्री:
तुलसी के सुखाए हुए पत्ते (जिन्हें छाया में रखकर सुखाया गया हो) 500 ग्राम, दालचीनी 50 ग्राम, तेजपात 100 ग्राम, ब्राह्मी बूटी 100 ग्राम, बनफशा 25 ग्राम, सौंफ 250 ग्राम, छोटी इलायची के दाने 150 ग्राम, लाल चन्दन 250 ग्राम और काली मिर्च 25 ग्राम। सब पदार्थों को एक-एक करके इमाम दस्ते (खल बत्ते) में डालें और मोटा-मोटा कूटकर सबको मिलाकर किसी बर्नी में भरकर रख लें। बस, तुलसी की चाय तैयार है।
बनाने की विधि :
आठ प्याले चाय के लिए यह 'तुलसी चाय' का मिश्रण (चूर्ण) एक बड़ा चम्मच भर लेना काफी है। आठ प्याला पानी एक तपेली में डालकर गरम होने के लिए आग पर रख दें। जब पानी उबलने लगे तब तपेली नीचे उतार कर एक चम्मच मिश्रण डालकर फौरन ढक्कन से ढक दें। थोड़ी देर तक रखे फिर छानकर कप में डाल लें। इसमें दूध नहीं डाला जाता। मीठा करना चाहें तो उबलने के लिए आग पर तपेली रखते समय ही उचित मात्रा में शकर डाल दें और गरम होने के लिए रख दें।
फायदे:
ऊपर बताए गए प्रयोग से बनी चाय आपको ताजगी और स्फूर्ति के साथ ही सेहत का अतिरिक्त लाभ भी दे सकती है। तुलसी की चाय प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाकर रोगों से बचाने वाली, स्फूर्तिदायक, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाली होती है।

#ANSHUMAN
हानिकारक समझे जाने वाली यही चाय आपके लिये बेहद लाभदायक भी हो सकती है। तरीके बदलने से परिणाम भी बदल जाते हैं। सही तरीके से बनी चाय आपके लिये काफी फायदेमंद हो सकती है। आइये जाने कि गुणों से भरपूर ऐसी लाभदायक चाय किस तरह बनती है....
आवश्यक सामग्री:
तुलसी के सुखाए हुए पत्ते (जिन्हें छाया में रखकर सुखाया गया हो) 500 ग्राम, दालचीनी 50 ग्राम, तेजपात 100 ग्राम, ब्राह्मी बूटी 100 ग्राम, बनफशा 25 ग्राम, सौंफ 250 ग्राम, छोटी इलायची के दाने 150 ग्राम, लाल चन्दन 250 ग्राम और काली मिर्च 25 ग्राम। सब पदार्थों को एक-एक करके इमाम दस्ते (खल बत्ते) में डालें और मोटा-मोटा कूटकर सबको मिलाकर किसी बर्नी में भरकर रख लें। बस, तुलसी की चाय तैयार है।
बनाने की विधि :
आठ प्याले चाय के लिए यह 'तुलसी चाय' का मिश्रण (चूर्ण) एक बड़ा चम्मच भर लेना काफी है। आठ प्याला पानी एक तपेली में डालकर गरम होने के लिए आग पर रख दें। जब पानी उबलने लगे तब तपेली नीचे उतार कर एक चम्मच मिश्रण डालकर फौरन ढक्कन से ढक दें। थोड़ी देर तक रखे फिर छानकर कप में डाल लें। इसमें दूध नहीं डाला जाता। मीठा करना चाहें तो उबलने के लिए आग पर तपेली रखते समय ही उचित मात्रा में शकर डाल दें और गरम होने के लिए रख दें।
फायदे:
ऊपर बताए गए प्रयोग से बनी चाय आपको ताजगी और स्फूर्ति के साथ ही सेहत का अतिरिक्त लाभ भी दे सकती है। तुलसी की चाय प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाकर रोगों से बचाने वाली, स्फूर्तिदायक, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाली होती है।

चाय लेंगे आप ???

Photo: चाय लेंगे आप ???
हानिकारक समझे जाने वाली यही चाय आपके लिये बेहद लाभदायक भी हो सकती है। तरीके बदलने से परिणाम भी बदल जाते हैं। सही तरीके से बनी चाय आपके लिये काफी फायदेमंद हो सकती है। आइये जाने कि गुणों से भरपूर ऐसी लाभदायक चाय किस तरह बनती है....
आवश्यक सामग्री:
तुलसी के सुखाए हुए पत्ते (जिन्हें छाया में रखकर सुखाया गया हो) 500 ग्राम, दालचीनी 50 ग्राम, तेजपात 100 ग्राम, ब्राह्मी बूटी 100 ग्राम, बनफशा 25 ग्राम, सौंफ 250 ग्राम, छोटी इलायची के दाने 150 ग्राम, लाल चन्दन 250 ग्राम और काली मिर्च 25 ग्राम। सब पदार्थों को एक-एक करके इमाम दस्ते (खल बत्ते) में डालें और मोटा-मोटा कूटकर सबको मिलाकर किसी बर्नी में भरकर रख लें। बस, तुलसी की चाय तैयार है।
बनाने की विधि :
आठ प्याले चाय के लिए यह 'तुलसी चाय' का मिश्रण (चूर्ण) एक बड़ा चम्मच भर लेना काफी है। आठ प्याला पानी एक तपेली में डालकर गरम होने के लिए आग पर रख दें। जब पानी उबलने लगे तब तपेली नीचे उतार कर एक चम्मच मिश्रण डालकर फौरन ढक्कन से ढक दें। थोड़ी देर तक रखे फिर छानकर कप में डाल लें। इसमें दूध नहीं डाला जाता। मीठा करना चाहें तो उबलने के लिए आग पर तपेली रखते समय ही उचित मात्रा में शकर डाल दें और गरम होने के लिए रख दें।
फायदे:
ऊपर बताए गए प्रयोग से बनी चाय आपको ताजगी और स्फूर्ति के साथ ही सेहत का अतिरिक्त लाभ भी दे सकती है। तुलसी की चाय प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाकर रोगों से बचाने वाली, स्फूर्तिदायक, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाली होती है।

#ANSHUMAN
हानिकारक समझे जाने वाली यही चाय आपके लिये बेहद लाभदायक भी हो सकती है। तरीके बदलने से परिणाम भी बदल जाते हैं। सही तरीके से बनी चाय आपके लिये काफी फायदेमंद हो सकती है। आइये जाने कि गुणों से भरपूर ऐसी लाभदायक चाय किस तरह बनती है....
आवश्यक सामग्री:
तुलसी के सुखाए हुए पत्ते (जिन्हें छाया में रखकर सुखाया गया हो) 500 ग्राम, दालचीनी 50 ग्राम, तेजपात 100 ग्राम, ब्राह्मी बूटी 100 ग्राम, बनफशा 25 ग्राम, सौंफ 250 ग्राम, छोटी इलायची के दाने 150 ग्राम, लाल चन्दन 250 ग्राम और काली मिर्च 25 ग्राम। सब पदार्थों को एक-एक करके इमाम दस्ते (खल बत्ते) में डालें और मोटा-मोटा कूटकर सबको मिलाकर किसी बर्नी में भरकर रख लें। बस, तुलसी की चाय तैयार है।
बनाने की विधि :
आठ प्याले चाय के लिए यह 'तुलसी चाय' का मिश्रण (चूर्ण) एक बड़ा चम्मच भर लेना काफी है। आठ प्याला पानी एक तपेली में डालकर गरम होने के लिए आग पर रख दें। जब पानी उबलने लगे तब तपेली नीचे उतार कर एक चम्मच मिश्रण डालकर फौरन ढक्कन से ढक दें। थोड़ी देर तक रखे फिर छानकर कप में डाल लें। इसमें दूध नहीं डाला जाता। मीठा करना चाहें तो उबलने के लिए आग पर तपेली रखते समय ही उचित मात्रा में शकर डाल दें और गरम होने के लिए रख दें।
फायदे:
ऊपर बताए गए प्रयोग से बनी चाय आपको ताजगी और स्फूर्ति के साथ ही सेहत का अतिरिक्त लाभ भी दे सकती है। तुलसी की चाय प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाकर रोगों से बचाने वाली, स्फूर्तिदायक, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाली होती है।

Posted at 10:20 |  by Tricksbee
Photo: जब किसी महिला को एक या दो महीने में केवल एक बार पीरियड्स होने लगे या फिर एक महीने में दो-तीन बार हो तो इसका मतलब है कि वह अनियमित महावारी से ग्रस्‍त है। यह उस महिला के लिये बहुत ही सीरियस समस्‍या है। इस समस्‍या से आगे चल कर नई शादी शुदा लड़कियां आसानी से मां नहीं बन पाती। इसके अलावा कई और भी स्‍वास्‍थ्‍य संबन्‍धी समस्‍याएं सामने आ सकती हैं। जितनी जल्‍दी हो सके इस समस्‍या से छुटकारा पाना चाहिये और हो सके तो प्राकृतिक इलाज ही करवाना चाहिये। घरेलू उपचार इस अनियमित महावारी से निपटने के लिये बहुत ही अच्‍छा माना जाता है। एक बात जो आपको ध्‍यान में रखनी है वह यह है कि आपको यह समस्‍या क्‍यों हुई है, इसका पता भी लगाएं। अनियमित महावारी के कई कारण हो सकते हैं जैसे, पौष्टिक आहार ना लेना, जंक फूड का अधिक सेवन, स्‍मोकिंग, शराब, तनाव, वजन का तुरंत बढना या घटना, कीमोथैरेपी, प्रसव, गर्भपात या स्‍तनपान आदि।

ऐसे करें प्राकृतिक उपचार -

- मसालेदार और गर्म खाद्य पदार्थ, फास्ट फूड, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों और ऐसे अन्य जंक फूड खाने से बचे क्‍योंकि इसमें पोषक तत्वों की कमी होती है। संतुलित और पौष्टिक आहार खाया जाना चाहिये। फल, अनाज, सब्‍जियां, दाल और डेयरी प्रोडक्‍ट जरुर खाएं।
- वजन कम करने के चक्‍कर में यदि आप नाश्‍ता या एक टाइम का खाना छोड़ देती हैं तो भी पीरियड्स पर असर पडे़गा। आपको तीन टाइम भोजन जरुर करना चाहिये।
- धनिया या सौंफ के बीज का काढा रोज दिन में एक बार पियें। इन सामग्रियों को रात भर पानी में भिगो कर सुबह पानी छान कर खा लेना चाहिये।
- रात को नीम की छाल को पानी में भिगो दीजिये। दूसरे दिन छाल को पानी से छान लें और इस पानी को दिन में 3 बार पीयें। इससे पीरियड्स समय पर होने लगेगा।
- आप अनियमित महावारी को गाजर और चुकन्‍दर के रस को पी कर भी ठीक कर सकती हैं। हर दिन 3 महीने तक इनके जूस को पीजिये और लाभ उठाइये।
- आप नींबू का रस और दालचीनी का पाउडर एक साथ मिला कर उसे रोजाना पी सकती हैं। - दिन में दो बार एक चम्‍मच तिल का पाउडर खाइये।
- आप घर पर ऐसा सलाद बना कर खा सकती हैं जिसमें 2 चम्‍मच भिगोई हुई मेथी मिली हो। - दिन में एक कप बटर मिल्‍क यानी मठ्ठा पीजिये, इसमें पानी भी मिलाइये।
- अंगूर का जूस भी पीरियड को नियमित कर सकता है।
- कच्‍चा पपीता और एलोवेरा का जूस पीजिये।
#anshuman
जब किसी महिला को एक या दो महीने में केवल एक बार पीरियड्स होने लगे या फिर एक महीने में दो-तीन बार हो तो इसका मतलब है कि वह अनियमित महावारी से ग्रस्‍त है। यह उस महिला के लिये बहुत ही सीरियस समस्‍या है। इस समस्‍या से आगे चल कर नई शादी शुदा लड़कियां आसानी से मां नहीं बन पाती। इसके अलावा कई और भी स्‍वास्‍थ्‍य संबन्‍धी समस्‍याएं सामने आ सकती हैं। जितनी जल्‍दी हो सके इस समस्‍या से छुटकारा पाना चाहिये और हो सके तो प्राकृतिक इलाज ही करवाना चाहिये। घरेलू उपचार इस अनियमित महावारी से निपटने के लिये बहुत ही अच्‍छा माना जाता है। एक बात जो आपको ध्‍यान में रखनी है वह यह है कि आपको यह समस्‍या क्‍यों हुई है, इसका पता भी लगाएं। अनियमित महावारी के कई कारण हो सकते हैं जैसे, पौष्टिक आहार ना लेना, जंक फूड का अधिक सेवन, स्‍मोकिंग, शराब, तनाव, वजन का तुरंत बढना या घटना, कीमोथैरेपी, प्रसव, गर्भपात या स्‍तनपान आदि।

ऐसे करें प्राकृतिक उपचार -

- मसालेदार और गर्म खाद्य पदार्थ, फास्ट फूड, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों और ऐसे अन्य जंक फूड खाने से बचे क्‍योंकि इसमें पोषक तत्वों की कमी होती है। संतुलित और पौष्टिक आहार खाया जाना चाहिये। फल, अनाज, सब्‍जियां, दाल और डेयरी प्रोडक्‍ट जरुर खाएं।
- वजन कम करने के चक्‍कर में यदि आप नाश्‍ता या एक टाइम का खाना छोड़ देती हैं तो भी पीरियड्स पर असर पडे़गा। आपको तीन टाइम भोजन जरुर करना चाहिये।
- धनिया या सौंफ के बीज का काढा रोज दिन में एक बार पियें। इन सामग्रियों को रात भर पानी में भिगो कर सुबह पानी छान कर खा लेना चाहिये।
- रात को नीम की छाल को पानी में भिगो दीजिये। दूसरे दिन छाल को पानी से छान लें और इस पानी को दिन में 3 बार पीयें। इससे पीरियड्स समय पर होने लगेगा।
- आप अनियमित महावारी को गाजर और चुकन्‍दर के रस को पी कर भी ठीक कर सकती हैं। हर दिन 3 महीने तक इनके जूस को पीजिये और लाभ उठाइये।
- आप नींबू का रस और दालचीनी का पाउडर एक साथ मिला कर उसे रोजाना पी सकती हैं। - दिन में दो बार एक चम्‍मच तिल का पाउडर खाइये।
- आप घर पर ऐसा सलाद बना कर खा सकती हैं जिसमें 2 चम्‍मच भिगोई हुई मेथी मिली हो। - दिन में एक कप बटर मिल्‍क यानी मठ्ठा पीजिये, इसमें पानी भी मिलाइये।
- अंगूर का जूस भी पीरियड को नियमित कर सकता है।
- कच्‍चा पपीता और एलोवेरा का जूस पीजिये।

जब किसी महिला को एक या दो महीने में केवल एक बार पीरियड्स

Photo: जब किसी महिला को एक या दो महीने में केवल एक बार पीरियड्स होने लगे या फिर एक महीने में दो-तीन बार हो तो इसका मतलब है कि वह अनियमित महावारी से ग्रस्‍त है। यह उस महिला के लिये बहुत ही सीरियस समस्‍या है। इस समस्‍या से आगे चल कर नई शादी शुदा लड़कियां आसानी से मां नहीं बन पाती। इसके अलावा कई और भी स्‍वास्‍थ्‍य संबन्‍धी समस्‍याएं सामने आ सकती हैं। जितनी जल्‍दी हो सके इस समस्‍या से छुटकारा पाना चाहिये और हो सके तो प्राकृतिक इलाज ही करवाना चाहिये। घरेलू उपचार इस अनियमित महावारी से निपटने के लिये बहुत ही अच्‍छा माना जाता है। एक बात जो आपको ध्‍यान में रखनी है वह यह है कि आपको यह समस्‍या क्‍यों हुई है, इसका पता भी लगाएं। अनियमित महावारी के कई कारण हो सकते हैं जैसे, पौष्टिक आहार ना लेना, जंक फूड का अधिक सेवन, स्‍मोकिंग, शराब, तनाव, वजन का तुरंत बढना या घटना, कीमोथैरेपी, प्रसव, गर्भपात या स्‍तनपान आदि।

ऐसे करें प्राकृतिक उपचार -

- मसालेदार और गर्म खाद्य पदार्थ, फास्ट फूड, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों और ऐसे अन्य जंक फूड खाने से बचे क्‍योंकि इसमें पोषक तत्वों की कमी होती है। संतुलित और पौष्टिक आहार खाया जाना चाहिये। फल, अनाज, सब्‍जियां, दाल और डेयरी प्रोडक्‍ट जरुर खाएं।
- वजन कम करने के चक्‍कर में यदि आप नाश्‍ता या एक टाइम का खाना छोड़ देती हैं तो भी पीरियड्स पर असर पडे़गा। आपको तीन टाइम भोजन जरुर करना चाहिये।
- धनिया या सौंफ के बीज का काढा रोज दिन में एक बार पियें। इन सामग्रियों को रात भर पानी में भिगो कर सुबह पानी छान कर खा लेना चाहिये।
- रात को नीम की छाल को पानी में भिगो दीजिये। दूसरे दिन छाल को पानी से छान लें और इस पानी को दिन में 3 बार पीयें। इससे पीरियड्स समय पर होने लगेगा।
- आप अनियमित महावारी को गाजर और चुकन्‍दर के रस को पी कर भी ठीक कर सकती हैं। हर दिन 3 महीने तक इनके जूस को पीजिये और लाभ उठाइये।
- आप नींबू का रस और दालचीनी का पाउडर एक साथ मिला कर उसे रोजाना पी सकती हैं। - दिन में दो बार एक चम्‍मच तिल का पाउडर खाइये।
- आप घर पर ऐसा सलाद बना कर खा सकती हैं जिसमें 2 चम्‍मच भिगोई हुई मेथी मिली हो। - दिन में एक कप बटर मिल्‍क यानी मठ्ठा पीजिये, इसमें पानी भी मिलाइये।
- अंगूर का जूस भी पीरियड को नियमित कर सकता है।
- कच्‍चा पपीता और एलोवेरा का जूस पीजिये।
#anshuman
जब किसी महिला को एक या दो महीने में केवल एक बार पीरियड्स होने लगे या फिर एक महीने में दो-तीन बार हो तो इसका मतलब है कि वह अनियमित महावारी से ग्रस्‍त है। यह उस महिला के लिये बहुत ही सीरियस समस्‍या है। इस समस्‍या से आगे चल कर नई शादी शुदा लड़कियां आसानी से मां नहीं बन पाती। इसके अलावा कई और भी स्‍वास्‍थ्‍य संबन्‍धी समस्‍याएं सामने आ सकती हैं। जितनी जल्‍दी हो सके इस समस्‍या से छुटकारा पाना चाहिये और हो सके तो प्राकृतिक इलाज ही करवाना चाहिये। घरेलू उपचार इस अनियमित महावारी से निपटने के लिये बहुत ही अच्‍छा माना जाता है। एक बात जो आपको ध्‍यान में रखनी है वह यह है कि आपको यह समस्‍या क्‍यों हुई है, इसका पता भी लगाएं। अनियमित महावारी के कई कारण हो सकते हैं जैसे, पौष्टिक आहार ना लेना, जंक फूड का अधिक सेवन, स्‍मोकिंग, शराब, तनाव, वजन का तुरंत बढना या घटना, कीमोथैरेपी, प्रसव, गर्भपात या स्‍तनपान आदि।

ऐसे करें प्राकृतिक उपचार -

- मसालेदार और गर्म खाद्य पदार्थ, फास्ट फूड, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों और ऐसे अन्य जंक फूड खाने से बचे क्‍योंकि इसमें पोषक तत्वों की कमी होती है। संतुलित और पौष्टिक आहार खाया जाना चाहिये। फल, अनाज, सब्‍जियां, दाल और डेयरी प्रोडक्‍ट जरुर खाएं।
- वजन कम करने के चक्‍कर में यदि आप नाश्‍ता या एक टाइम का खाना छोड़ देती हैं तो भी पीरियड्स पर असर पडे़गा। आपको तीन टाइम भोजन जरुर करना चाहिये।
- धनिया या सौंफ के बीज का काढा रोज दिन में एक बार पियें। इन सामग्रियों को रात भर पानी में भिगो कर सुबह पानी छान कर खा लेना चाहिये।
- रात को नीम की छाल को पानी में भिगो दीजिये। दूसरे दिन छाल को पानी से छान लें और इस पानी को दिन में 3 बार पीयें। इससे पीरियड्स समय पर होने लगेगा।
- आप अनियमित महावारी को गाजर और चुकन्‍दर के रस को पी कर भी ठीक कर सकती हैं। हर दिन 3 महीने तक इनके जूस को पीजिये और लाभ उठाइये।
- आप नींबू का रस और दालचीनी का पाउडर एक साथ मिला कर उसे रोजाना पी सकती हैं। - दिन में दो बार एक चम्‍मच तिल का पाउडर खाइये।
- आप घर पर ऐसा सलाद बना कर खा सकती हैं जिसमें 2 चम्‍मच भिगोई हुई मेथी मिली हो। - दिन में एक कप बटर मिल्‍क यानी मठ्ठा पीजिये, इसमें पानी भी मिलाइये।
- अंगूर का जूस भी पीरियड को नियमित कर सकता है।
- कच्‍चा पपीता और एलोवेरा का जूस पीजिये।

Posted at 10:16 |  by Tricksbee
Photo: मूत्र पथ संक्रमण के लक्षण आम और आसानी से पहचानने योग्य हैं। इनमें पेशाब के दौरान दर्द, बार-बार पेशाब लगना, पेशाब के दौरान जलन, बुखार, मतली और लोअर बैक में दर्द शामिल हैं। मूत्र पथ के संक्रमण वाले व्यक्ति को घर बैठे अच्छी खासी परेशानी हो सकती है। वैसे तो यह समस्‍या एंटीबॉयोअिक दवाएं लेने से सही हो जाती है। लेकिन इसके कुछ घरेलू उपचार भी हैं। इस तरह के संक्रमण के दौरान खूब पानी, जूस, सूप, पीना चाहिए। इससे मूत्र प्रवाह बढ़ाता है और किसी भी संक्रमण संकुचन की संभावना कम होती है। इसके अलावा, मूत्र को कभी रोकने कोशिश नहीं करनी चाहिए और जब आए तब ही कर लेना चाहिए। महिलाओं को गर्मी और बरसात के मौसम के दौरान विशेष रूप से कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। यूटीआई के सबसे सामान्य कारणों में आंत्र है कि बैक्टीरिय त्वचा पर रहता है और मूत्र पथ में फैल जाता है। ये बैक्टीरिया ऊपर की तरफ बढ़ते हैं और मूत्राशय में संक्रमण का कारण बन सकते है।

इसे रोकने के लिये आइये जानते हैं कुछ प्राकृतिक उपचार- घरेलू उपचार-

1. विटामिन सी युक्‍त जूस पीजिये जैसे, अनानास, सिट्रस फ्रूट वाले फल जैसे, नींबू, मुसम्‍मी,संतरा आदि। पानी पीना इसका सबसे अच्‍छा उपचार हो सकता है। खूब सारा पानी पियें जिससे बैक्‍टीरिया का नाश हो सके।
2. इंफेक्‍शन के समय कॉफी, टी और चॉकलेट को तो हाथ न लगाएं। दालचीनी, यूवीए उर्सी, बूचा चाय की पत्तियां, हपूशाा आदि हर्ब अच्‍छे घरेलू उपचार हैं।
3. जौ का पानी, नारियल पानी और मठ्ठा भी सबसे अच्छा समाधान हैं। जौ का पानी पेट में एसिड की मात्रा को घटा कर पेट को शांति देता है और जलन को कम करता है।
4. एक जड़ी बूटी होती है जिसका नाम इचीनेशिया होता है, जो कि इंफेक्‍शन फैलाने वाले बैक्‍टीरिया का नाश करता है। तो ऐसे में इस हर्ब की चाय पीने से यह बीमारी पूरी तरह से सही हो सकती है। कोशिश करें कि इस चाय में बिल्‍कुल भी चीनी न मिलाएं।
5. एक प्रकार की सब्जी, दारुहल्दी और लहसुन बैक्‍टीरिया का नाश कर सकते हैं। इसका एक गिलास जूस पीने से रोग से मुक्‍ती मिल सकती है। इससे मूत्राशय में हो रही जलन खतम हो सकती है।


मूत्र पथ संक्रमण के लक्षण आम और आसानी से पहचानने योग्य हैं। इनमें पेशाब के दौरान दर्द, बार-बार पेशाब लगना, पेशाब के दौरान जलन, बुखार, मतली और लोअर बैक में दर्द शामिल हैं। मूत्र पथ के संक्रमण वाले व्यक्ति को घर बैठे अच्छी खासी परेशानी हो सकती है। वैसे तो यह समस्‍या एंटीबॉयोअिक दवाएं लेने से सही हो जाती है। लेकिन इसके कुछ घरेलू उपचार भी हैं। इस तरह के संक्रमण के दौरान खूब पानी, जूस, सूप, पीना चाहिए। इससे मूत्र प्रवाह बढ़ाता है और किसी भी संक्रमण संकुचन की संभावना कम होती है। इसके अलावा, मूत्र को कभी रोकने कोशिश नहीं करनी चाहिए और जब आए तब ही कर लेना चाहिए। महिलाओं को गर्मी और बरसात के मौसम के दौरान विशेष रूप से कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। यूटीआई के सबसे सामान्य कारणों में आंत्र है कि बैक्टीरिय त्वचा पर रहता है और मूत्र पथ में फैल जाता है। ये बैक्टीरिया ऊपर की तरफ बढ़ते हैं और मूत्राशय में संक्रमण का कारण बन सकते है।

इसे रोकने के लिये आइये जानते हैं कुछ प्राकृतिक उपचार- घरेलू उपचार-

1. विटामिन सी युक्‍त जूस पीजिये जैसे, अनानास, सिट्रस फ्रूट वाले फल जैसे, नींबू, मुसम्‍मी,संतरा आदि। पानी पीना इसका सबसे अच्‍छा उपचार हो सकता है। खूब सारा पानी पियें जिससे बैक्‍टीरिया का नाश हो सके।
2. इंफेक्‍शन के समय कॉफी, टी और चॉकलेट को तो हाथ न लगाएं। दालचीनी, यूवीए उर्सी, बूचा चाय की पत्तियां, हपूशाा आदि हर्ब अच्‍छे घरेलू उपचार हैं।
3. जौ का पानी, नारियल पानी और मठ्ठा भी सबसे अच्छा समाधान हैं। जौ का पानी पेट में एसिड की मात्रा को घटा कर पेट को शांति देता है और जलन को कम करता है।
4. एक जड़ी बूटी होती है जिसका नाम इचीनेशिया होता है, जो कि इंफेक्‍शन फैलाने वाले बैक्‍टीरिया का नाश करता है। तो ऐसे में इस हर्ब की चाय पीने से यह बीमारी पूरी तरह से सही हो सकती है। कोशिश करें कि इस चाय में बिल्‍कुल भी चीनी न मिलाएं।
5. एक प्रकार की सब्जी, दारुहल्दी और लहसुन बैक्‍टीरिया का नाश कर सकते हैं। इसका एक गिलास जूस पीने से रोग से मुक्‍ती मिल सकती है। इससे मूत्राशय में हो रही जलन खतम हो सकती है।

मूत्र पथ संक्रमण के लक्षण आम और आसानी से पहचानने योग्य हैं

Photo: मूत्र पथ संक्रमण के लक्षण आम और आसानी से पहचानने योग्य हैं। इनमें पेशाब के दौरान दर्द, बार-बार पेशाब लगना, पेशाब के दौरान जलन, बुखार, मतली और लोअर बैक में दर्द शामिल हैं। मूत्र पथ के संक्रमण वाले व्यक्ति को घर बैठे अच्छी खासी परेशानी हो सकती है। वैसे तो यह समस्‍या एंटीबॉयोअिक दवाएं लेने से सही हो जाती है। लेकिन इसके कुछ घरेलू उपचार भी हैं। इस तरह के संक्रमण के दौरान खूब पानी, जूस, सूप, पीना चाहिए। इससे मूत्र प्रवाह बढ़ाता है और किसी भी संक्रमण संकुचन की संभावना कम होती है। इसके अलावा, मूत्र को कभी रोकने कोशिश नहीं करनी चाहिए और जब आए तब ही कर लेना चाहिए। महिलाओं को गर्मी और बरसात के मौसम के दौरान विशेष रूप से कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। यूटीआई के सबसे सामान्य कारणों में आंत्र है कि बैक्टीरिय त्वचा पर रहता है और मूत्र पथ में फैल जाता है। ये बैक्टीरिया ऊपर की तरफ बढ़ते हैं और मूत्राशय में संक्रमण का कारण बन सकते है।

इसे रोकने के लिये आइये जानते हैं कुछ प्राकृतिक उपचार- घरेलू उपचार-

1. विटामिन सी युक्‍त जूस पीजिये जैसे, अनानास, सिट्रस फ्रूट वाले फल जैसे, नींबू, मुसम्‍मी,संतरा आदि। पानी पीना इसका सबसे अच्‍छा उपचार हो सकता है। खूब सारा पानी पियें जिससे बैक्‍टीरिया का नाश हो सके।
2. इंफेक्‍शन के समय कॉफी, टी और चॉकलेट को तो हाथ न लगाएं। दालचीनी, यूवीए उर्सी, बूचा चाय की पत्तियां, हपूशाा आदि हर्ब अच्‍छे घरेलू उपचार हैं।
3. जौ का पानी, नारियल पानी और मठ्ठा भी सबसे अच्छा समाधान हैं। जौ का पानी पेट में एसिड की मात्रा को घटा कर पेट को शांति देता है और जलन को कम करता है।
4. एक जड़ी बूटी होती है जिसका नाम इचीनेशिया होता है, जो कि इंफेक्‍शन फैलाने वाले बैक्‍टीरिया का नाश करता है। तो ऐसे में इस हर्ब की चाय पीने से यह बीमारी पूरी तरह से सही हो सकती है। कोशिश करें कि इस चाय में बिल्‍कुल भी चीनी न मिलाएं।
5. एक प्रकार की सब्जी, दारुहल्दी और लहसुन बैक्‍टीरिया का नाश कर सकते हैं। इसका एक गिलास जूस पीने से रोग से मुक्‍ती मिल सकती है। इससे मूत्राशय में हो रही जलन खतम हो सकती है।


मूत्र पथ संक्रमण के लक्षण आम और आसानी से पहचानने योग्य हैं। इनमें पेशाब के दौरान दर्द, बार-बार पेशाब लगना, पेशाब के दौरान जलन, बुखार, मतली और लोअर बैक में दर्द शामिल हैं। मूत्र पथ के संक्रमण वाले व्यक्ति को घर बैठे अच्छी खासी परेशानी हो सकती है। वैसे तो यह समस्‍या एंटीबॉयोअिक दवाएं लेने से सही हो जाती है। लेकिन इसके कुछ घरेलू उपचार भी हैं। इस तरह के संक्रमण के दौरान खूब पानी, जूस, सूप, पीना चाहिए। इससे मूत्र प्रवाह बढ़ाता है और किसी भी संक्रमण संकुचन की संभावना कम होती है। इसके अलावा, मूत्र को कभी रोकने कोशिश नहीं करनी चाहिए और जब आए तब ही कर लेना चाहिए। महिलाओं को गर्मी और बरसात के मौसम के दौरान विशेष रूप से कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। यूटीआई के सबसे सामान्य कारणों में आंत्र है कि बैक्टीरिय त्वचा पर रहता है और मूत्र पथ में फैल जाता है। ये बैक्टीरिया ऊपर की तरफ बढ़ते हैं और मूत्राशय में संक्रमण का कारण बन सकते है।

इसे रोकने के लिये आइये जानते हैं कुछ प्राकृतिक उपचार- घरेलू उपचार-

1. विटामिन सी युक्‍त जूस पीजिये जैसे, अनानास, सिट्रस फ्रूट वाले फल जैसे, नींबू, मुसम्‍मी,संतरा आदि। पानी पीना इसका सबसे अच्‍छा उपचार हो सकता है। खूब सारा पानी पियें जिससे बैक्‍टीरिया का नाश हो सके।
2. इंफेक्‍शन के समय कॉफी, टी और चॉकलेट को तो हाथ न लगाएं। दालचीनी, यूवीए उर्सी, बूचा चाय की पत्तियां, हपूशाा आदि हर्ब अच्‍छे घरेलू उपचार हैं।
3. जौ का पानी, नारियल पानी और मठ्ठा भी सबसे अच्छा समाधान हैं। जौ का पानी पेट में एसिड की मात्रा को घटा कर पेट को शांति देता है और जलन को कम करता है।
4. एक जड़ी बूटी होती है जिसका नाम इचीनेशिया होता है, जो कि इंफेक्‍शन फैलाने वाले बैक्‍टीरिया का नाश करता है। तो ऐसे में इस हर्ब की चाय पीने से यह बीमारी पूरी तरह से सही हो सकती है। कोशिश करें कि इस चाय में बिल्‍कुल भी चीनी न मिलाएं।
5. एक प्रकार की सब्जी, दारुहल्दी और लहसुन बैक्‍टीरिया का नाश कर सकते हैं। इसका एक गिलास जूस पीने से रोग से मुक्‍ती मिल सकती है। इससे मूत्राशय में हो रही जलन खतम हो सकती है।

Posted at 10:15 |  by Tricksbee

Monday 26 August 2013



अब इन मीडिया चैनल्स को क्या सजा मिले ?
किसने उकसाया उस लड़की को आसाराम पर 
बलात्कार का आरोप लगाने को?

एक हफ्ते से ये सारे ना-मुराद चैनल गले फाड़ फाड़ कर 
आसाराम बापू की इज्ज़त तार तार कर रहे थे और छातियाँ
पीट पीट कर किसी \"रुदाली\' की तरह विधवा विलाप कर
रहे थे, \"हाय हाय, आसाराम ने नाबालिग बच्ची का बलात्कार
कर दिया। शोर मचा दिया, कब गिरफ्तार होंगे आसाराम
और मीडिया ट्रायल करके आसाराम को मुजरिम करार
दे दिया।
आज इस मीडिया की आवाज़ में आसाराम के लिए वो तल्खी
नहीं है, क्यूँ?
क्यूंकि आज राजस्थान पुलिस ने जांच करके घोषणा कर दी
कि लड़की के बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है, पर उन पर
बलात्कार की चेष्टा का आरोप लगाया जायेगा।
मेरा आसाराम से कुछ लेना देना नहीं है मगर मैं ये पूछना
चाहता हूँ कि दिल्ली के हॉस्पिटल ने बलात्कार की पुष्टि
कैसे की जो मैंने खुद इन्टरनेट पर एक रिपोर्ट में पढ़ी था और
उसे लेकर मीडिया चैनल पागल हो गए थे।
सवाल यह उठता है कि जब बलात्कार नहीं हुआ तो उस लड़की
ने किसके बहकावे आ कर आसाराम पर यह आरोप लगा
दिया?

सच में लड़की का बलात्कार तो हुआ नहीं पर उसने किसी के
बहकावे में आ कर आसाराम का बलात्कार जरूर कर दिया, जो
घोर निंदनीय है।

अब ये मीडिया चैनल कहाँ मर गए, पूरी तरह जो खबर भी
नहीं दे रहे वर्ना एक हफ्ते से एक ही टेप लगा रखा था कि
आसाराम ने बलात्कार कर दिया, क्या करें ऐसे बाबाओं
का और ना जाने क्या क्या।
अब आप बताएं कि मीडिया चैनल्स को क्या सजा दी जाये,
क्यूंकि ये मुजरिम तो हैं और इन सबने जुर्म किया है।
मैंने कुछ दिन पहले इसीलिए लेख लिखा था कि पत्रकारिता
पेशा बन गयी है और पत्रकार भाड़े पे काम करने वाले
(मर्सिनरी)
मेरे ख्याल से आसाराम के लाखों शिष्यों को सारे चैनल्स
को घेर कर इनके उन पत्रकारों को बाहर निकालें जो
सबसे ज्यादा चीख रहे थे और फिर उन्हें इंडिया गेट पे
ले जा कर खुले आम धुनाई करनी चाहिए।
आज़ादी के साथ जिम्मेदारी भी जुडी होती है पर मीडिया
चैनल्स केवल आज़ादी चाहते हैं और जिम्मेदारी से पीछे
भागते हैं, इन्हें समझ लेना चाहिए कि इन चैनल्स की
आज़ादी अब \"खतरे\" में है।

(सुभाष चन्द्र)


अश्रम बापू पर नहीं चलेगा केस



अब इन मीडिया चैनल्स को क्या सजा मिले ?
किसने उकसाया उस लड़की को आसाराम पर 
बलात्कार का आरोप लगाने को?

एक हफ्ते से ये सारे ना-मुराद चैनल गले फाड़ फाड़ कर 
आसाराम बापू की इज्ज़त तार तार कर रहे थे और छातियाँ
पीट पीट कर किसी \"रुदाली\' की तरह विधवा विलाप कर
रहे थे, \"हाय हाय, आसाराम ने नाबालिग बच्ची का बलात्कार
कर दिया। शोर मचा दिया, कब गिरफ्तार होंगे आसाराम
और मीडिया ट्रायल करके आसाराम को मुजरिम करार
दे दिया।
आज इस मीडिया की आवाज़ में आसाराम के लिए वो तल्खी
नहीं है, क्यूँ?
क्यूंकि आज राजस्थान पुलिस ने जांच करके घोषणा कर दी
कि लड़की के बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है, पर उन पर
बलात्कार की चेष्टा का आरोप लगाया जायेगा।
मेरा आसाराम से कुछ लेना देना नहीं है मगर मैं ये पूछना
चाहता हूँ कि दिल्ली के हॉस्पिटल ने बलात्कार की पुष्टि
कैसे की जो मैंने खुद इन्टरनेट पर एक रिपोर्ट में पढ़ी था और
उसे लेकर मीडिया चैनल पागल हो गए थे।
सवाल यह उठता है कि जब बलात्कार नहीं हुआ तो उस लड़की
ने किसके बहकावे आ कर आसाराम पर यह आरोप लगा
दिया?

सच में लड़की का बलात्कार तो हुआ नहीं पर उसने किसी के
बहकावे में आ कर आसाराम का बलात्कार जरूर कर दिया, जो
घोर निंदनीय है।

अब ये मीडिया चैनल कहाँ मर गए, पूरी तरह जो खबर भी
नहीं दे रहे वर्ना एक हफ्ते से एक ही टेप लगा रखा था कि
आसाराम ने बलात्कार कर दिया, क्या करें ऐसे बाबाओं
का और ना जाने क्या क्या।
अब आप बताएं कि मीडिया चैनल्स को क्या सजा दी जाये,
क्यूंकि ये मुजरिम तो हैं और इन सबने जुर्म किया है।
मैंने कुछ दिन पहले इसीलिए लेख लिखा था कि पत्रकारिता
पेशा बन गयी है और पत्रकार भाड़े पे काम करने वाले
(मर्सिनरी)
मेरे ख्याल से आसाराम के लाखों शिष्यों को सारे चैनल्स
को घेर कर इनके उन पत्रकारों को बाहर निकालें जो
सबसे ज्यादा चीख रहे थे और फिर उन्हें इंडिया गेट पे
ले जा कर खुले आम धुनाई करनी चाहिए।
आज़ादी के साथ जिम्मेदारी भी जुडी होती है पर मीडिया
चैनल्स केवल आज़ादी चाहते हैं और जिम्मेदारी से पीछे
भागते हैं, इन्हें समझ लेना चाहिए कि इन चैनल्स की
आज़ादी अब \"खतरे\" में है।

(सुभाष चन्द्र)


Posted at 21:07 |  by Tricksbee
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